बारिश को तरसती सारी ऑंखें ,
बेचारे गरीब किसानो को क्षल रही है
मानसून की ठंडी - ठंडी हवाएँ ,
बादलों को साथ लेकर चल रही है
सूरज को काले चादर से ढककर
धीरे - धीरे आकाश में टहल रही है
मानसून की ठंडी - ठंडी हवाएँ ,
बादलों को साथ लेकर चल रही है
गगन से नीचे उतारने की चाह में
सोये बूंदों की मन मचल रही है
मानसून की ठंडी - ठंडी हवाएँ ,
बादलों को साथ लेकर चल रही है
बेचारे गरीब किसानो को क्षल रही है
मानसून की ठंडी - ठंडी हवाएँ ,
बादलों को साथ लेकर चल रही है
सूरज को काले चादर से ढककर
धीरे - धीरे आकाश में टहल रही है
मानसून की ठंडी - ठंडी हवाएँ ,
बादलों को साथ लेकर चल रही है
गगन से नीचे उतारने की चाह में
सोये बूंदों की मन मचल रही है
मानसून की ठंडी - ठंडी हवाएँ ,
बादलों को साथ लेकर चल रही है