Friday, July 25, 2014

गावं में जिंदगी बहुत पास थी

पक्षियों की मधुर  सहगान
कुत्तों की पीटने की आवाज़
घरों  के ऊपर सुबह उठता धुआं
गाय की एक जोरदार डकार
गावं में जिंदगी बहुत पास थी

मुर्गे की वो शुभ प्रभात
चूड़ी बेचनेवाली की पुकार
लोगों का रोज का एक जमघट
बच्चे का आता क्रंदन
गावं में जिंदगी बहुत पास थी

गीत गाती हुई मक्खियाँ
लोरी सुनाने वाला मच्छर
ग़ज़ल गाता हुआ झींगुर
और सबको गायकी सिखाती कोयल
गावं में जिंदगी बहुत पास थी