पक्षियों की मधुर सहगान
कुत्तों की पीटने की आवाज़
घरों के ऊपर सुबह उठता धुआं
गाय की एक जोरदार डकार
गावं में जिंदगी बहुत पास थी
मुर्गे की वो शुभ प्रभात
चूड़ी बेचनेवाली की पुकार
लोगों का रोज का एक जमघट
बच्चे का आता क्रंदन
गावं में जिंदगी बहुत पास थी
गीत गाती हुई मक्खियाँ
लोरी सुनाने वाला मच्छर
ग़ज़ल गाता हुआ झींगुर
और सबको गायकी सिखाती कोयल
गावं में जिंदगी बहुत पास थी
कुत्तों की पीटने की आवाज़
घरों के ऊपर सुबह उठता धुआं
गाय की एक जोरदार डकार
गावं में जिंदगी बहुत पास थी
मुर्गे की वो शुभ प्रभात
चूड़ी बेचनेवाली की पुकार
लोगों का रोज का एक जमघट
बच्चे का आता क्रंदन
गावं में जिंदगी बहुत पास थी
गीत गाती हुई मक्खियाँ
लोरी सुनाने वाला मच्छर
ग़ज़ल गाता हुआ झींगुर
और सबको गायकी सिखाती कोयल
गावं में जिंदगी बहुत पास थी