Monday, July 28, 2014

कलम :अक्षरबद्ध कविता

लम
म्बी सी पतली सी
दद करती एक सहेली सी

पटुए की कटी शरीर

पटुए की कटी शरीर नदी में डुबाई गयी 
सन निकलने की खातिर वो लायी गयी 
खेत में वो लहलहा रही थी सावन में 
भादो में किसानो द्वारा सड़ायी गयी 

पटुए की कटी शरीर नदी में डुबाई गयी
भरी भरकम डंडों से वो दबायी गयी 
धरा पे झूम रही थी हवाओं संग 
जब वो काटकर नदी में लायी गयी 

पटुए की कटी शरीर नदी में डुबाई गयी
जब सड़ गयी तो उपर लायी गयी 
उसके तन से उजले कपड़े निकाले गये 
और एक सफ़ेद छड़ी बनायीं गयी 

Sunday, July 27, 2014

बीती रात को हुई महुए की बारिश

बीती रात को हुई महुए की बारिश
सुबह ,उसकी खुशबू से नहाई हुई थी
चारो तरफ पीला पुष्प बिखरा पड़ा था
पेड़ भी कुछ हिस्सा चुरायी हुई  थी

बीती रात को हुई महुए की बारिश
सुबह में सारी घास पे छायी हुई थी
कुछ इधर कुछ उधर
बाकीयों  को पत्तियाँ छुपायी हुई थी

बीती रात को हुई महुए की बारिश
.................................................

Saturday, July 26, 2014

Naam ke Sath 50% off

Sala - Jija ji aap abhi kidhar hain ?
Jija - tumhare naam ke sath 50% off likha hai udhar shopping karne aya hoon

PIZZA KA JIJA

ek American(jishe thodi hindi ati thi) aur bhaiyaji ke bich  dhekhiye kaise bahash hua

American:-ye roti kya hota hai,what is that?
bhaiyaji:-tumhare pizza ka jija 

ग्रामीण भारत की तस्वीर

आँखों पे परदे का पहरा 
घूँघट से ढाका नारी चेहरा 
ध्यान से देखो दोस्तों 
एक ग्रामीण भारत की तस्वीर 

Friday, July 25, 2014

गावं में जिंदगी बहुत पास थी

पक्षियों की मधुर  सहगान
कुत्तों की पीटने की आवाज़
घरों  के ऊपर सुबह उठता धुआं
गाय की एक जोरदार डकार
गावं में जिंदगी बहुत पास थी

मुर्गे की वो शुभ प्रभात
चूड़ी बेचनेवाली की पुकार
लोगों का रोज का एक जमघट
बच्चे का आता क्रंदन
गावं में जिंदगी बहुत पास थी

गीत गाती हुई मक्खियाँ
लोरी सुनाने वाला मच्छर
ग़ज़ल गाता हुआ झींगुर
और सबको गायकी सिखाती कोयल
गावं में जिंदगी बहुत पास थी

Kali Chhatri

Kuchh dino se nazar aa rhi hai 
Kali ,bhuri aur safed chhatri 

jbse Rituon ki Rani shahar ayi hai

Bhesh Badal Badalkar

ati hai hamari pyari dharti Ma
bhesh badal badalkar
kabhi kheton mein ghani hariyali
to kabhi phoolon  ki  lali  bankar


ati hai hamari pyari dharti Ma
bhesh badal badalkar
kabhi genhun ki sunhari pili wali
kabhi pyaj ki hari kayali bankar


ati hai hamari pyari dharti Ma
bhesh badal badalkar
phalon se laddi dali bankar
jise khate ho thali bharkar


ati hai hamari pyari dharti Ma
bhesh badal badalkar
kabhi hawaon ke sath chalkar
to kabhi nadi ke jal ke sath bahkar
aur chali jati hampe jivan ka amrit malkar 

Thursday, July 24, 2014

सार्वजनिक संपत्ति

आपका व्यवहार सार्वजनिक संपत्ति है 
इसे अच्छा बनाये रखें 

Wednesday, July 23, 2014

भगवान की पतंग

कुछ काला ,कुछ सफ़ेद 
कुछ भूरा इसका अंग
भगवान की पतंग 
नभ में हवाओं के संग

बिना किसी डोर की 
जैसे पंख मोर की 
भगवान की पतंग 
नभ में हवाओं के संग

हवाओं के साथ खेल 
हवाओं से है इनका मेल
भगवान की पतंग 
नभ में हवाओं के संग

कुछ छोटा कुछ बड़ा दल 
पानी वाले  सारे बादल
यहीं है भगवान की पतंग
देखो ,उन हवाओं के संग  

Monday, July 21, 2014

किशमिश

मीठी  रसभरी अंगूर 
किरणों की प्रतिदिन की स्पर्श से

देखो ,वो अब किशमिश बन गयी 

Sunday, July 20, 2014

छुपकर बादल कहीं जा रहा है

चाँद की दूधिया रोशनी में
बादल का चेहरा नज़र आ रहा है
रात में देखो ,चोरों की तरह
छुपकर वो कहीं जा रहा है

ठंढी हवा के आती जाती झोकें
पेड़ अपना हाँथ हिला रहा हैं
रात में देखो ,चोरों की तरह
छुपकर बादल कहीं जा रहा है 

इलायची की छुई हुई चाय

हवा में भाप बनकर उड़ रही है
बिना कहे नाक से जुड़ रही है
आह ! कितनी अच्छी है ख़ुशबू
कहीं तो ,प्याले में महक रही है
इलायची की छुई हुई चाय

सुबह की ताजगी लिए
है ,जैसे कोई मेरे पास लिए
आह ! सुगंध से भर गया कमरा
कहीं तो ,प्याले में महक रही है
इलायची की छुई हुई चाय







Saturday, July 19, 2014

बादलों को साथ लेकर चल रही है

बारिश को तरसती सारी ऑंखें ,
बेचारे गरीब किसानो को क्षल रही है
मानसून की ठंडी - ठंडी  हवाएँ ,
बादलों को साथ लेकर चल रही है


सूरज को काले चादर से ढककर
धीरे - धीरे आकाश में टहल रही है
मानसून की ठंडी - ठंडी  हवाएँ ,
बादलों को साथ लेकर चल रही है

गगन से नीचे उतारने की चाह में
सोये बूंदों की मन मचल रही है
मानसून की ठंडी - ठंडी  हवाएँ ,
बादलों को साथ लेकर चल रही है


हवा की फूंक

एक अँधेरी रात 
और हवा की एक जोरदार फूंक

अकेला दिया फिर बुझ गया 

Friday, July 18, 2014

सिक्का नोट : हीरक कविता

सिक्का 
गोलाकार ,चमकीला 
घूमता ,बैठता ,सोता 
मुद्रा ,पैसा ,रुपया ,दौलत 
चलता ,बंधता ,दौड़ता  
कागजी ,हल्का 
नोट 

पुस्तक कॉपी लादे लादे

पुस्तक कॉपी लादे लादे जाते थे 
पुस्तक कॉपी लादे लादे आते थे 
पढाई की  पवित्र काम से पहले 
रोजाना प्रार्थना हमलोग गाते थे 

जोर से पढ़ते ,चीखते चिल्लाते थे 
सफ़ेद पन्नो को स्याही खिलते थे 
वो स्लेट बनी टेढ़ी - मेढ़ी लकीरें 
सब मिलकर एक शब्द बन जाते थे

पुस्तक कॉपी लादे लादे जाते थे 
पुस्तक कॉपी लादे लादे आते थे

सोच की कुंजी

किताब ने खोला
ताला
न्द पड़ी सोच का

Monday, July 14, 2014

BHEJATARIAN GIRLS

Ladki - Hum ladkiyaan jyadatar Vegetarian hoti hain.
Ladka - Vegetarian nhi BHEJATARIAN
             Har dam BHEJA khane wali

Sunday, July 13, 2014

100/7 Time Shadi shuda

panditji-beta fere lo
bewkoof dulha-kyon?
panditji-sat feron ko  hi shadi kahte hain
bewkoof dulha-tab to main 100/7 bar shadi kar chuka hoon
panditji-wo kaise?
bewkoof dulha-ek ladki ke ghar ki main 100 fere lga chuka hoon 

Saturday, July 12, 2014

बदल काले काले

इंतजार में हैं सभी सुखे ,नदी नाले ,
की कब आएंगे बदल काले काले ,
घूमते -फिरते और गाते बजाते ,
एक दुसरे के हाँथ में हाँथ डाले डाले ,


इंतजार में बैठा किसान गांव में

इंतजार में बैठा किसान गांव में ,
की कब आयेगी ये सुखी धरती ,
मेघों के वो मतवाली छांव में,
अभी तक इन्द्रदेव खुश नही हुए ,
सवाल पूछ रहा है आज ,
इंतजार में बैठा किसान गांव में ,
क्यों नही आया पानी का बादल,
किसने डाली जंजीर उसके पांव में ,

मेरी कलम

लम ,छोटी पतली ,मोटी होती 
कीरों को जोड़कर शब्द बनाती 
म्मी को मेरी मेहनत दिखाती 

Friday, July 11, 2014

प्रकृति का उपहार

प्रकृति के उपहार को खोला 
वन उपवन के हार को खोला 
सूरज की किरणों का कमाल 
पुष्प के रूप में बहार को खोला 

Saturday, July 5, 2014

SABJIYON SE SAJJI


aajkal khet sabjiyon se sajji hai
kahin ptta gobhi lgii hai
to kahin phool gobhi khili hai
ye dharti ka vardan hai
jo ham sabko  milii hai
jakar dekho apne rasoyi mein
sabji banke kaise khili hai

aajkal khet sabjiyon se sajji hai
dekho wo matar
kar rahi hai patar-patar
arre wo dekh sag
khane ke liye pet mein lag rha hai aag
zra udhar dekh aur dhayan se sunn
sarso ke pile phoolon ka rag

aajkal khet sabjiyon se sajji hai
dekho wo dharati se dant dikhata muli
esko to dharati ma bhi na bhuli
arre muli ke bagal mein bhaiya allu
ham jante hai aap kitne hain chalu

dekho rang-biranga baingan
koi dikhta hai jaise bomb
to koi ho jaise gun
chokha,sabji,bhujiyon 
bna jo ho tumhara man

aajkal khet sabjiyon se saji hai

Friday, July 4, 2014

पताके को बोली हवा

एक घूमती हवा  ने पताके को बोला ,
की सब लोगों को इशारे से बता दे ,

की वो झूमती अब किधर को जा रही है