शब्दों का तमाशा देखो
Monday, March 3, 2014
चाँद नही आयी
चाँद नही आयी फलक पे बस तारे थे
गुमसुम , उदास आज सारे के सारे थे
घनी अँधेरी काली रात सोयी हुई थी
जिसे जगाने को टिमटिमा रहे बेचारे थे
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