Saturday, November 29, 2014
keyboard कवि
आजकल साइज़ जीरो फिगर वाली कलमें भी रोती हैं |
उन्हें कितनी बार समझाया ये तेरे साथ फोटो खिचवाने वाला keyboard कवि है
उन्हें कितनी बार समझाया ये तेरे साथ फोटो खिचवाने वाला keyboard कवि है
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hasy kavita
Friday, November 28, 2014
ओस का पड़ाव
अँधेरे में आयी
सबने पड़ाव डाला
सर्दी ने लायी
ओस आसमान वाला
कुछ घास पे है
कुछ मकड़े की जालियों में
बनी मोती सी माला
माता सी धरती
धरती ने ओस संभाला
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कविता
Monday, November 24, 2014
Saturday, November 22, 2014
Thursday, November 20, 2014
सूर्य उपवन का प्यार
हर रोज उसका स्वागत करती है,
हाँथों में रंगीन गुलदस्ते लेकर ,
लगता है सूर्य और उपवन में प्यार है
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Triveni
Wednesday, November 19, 2014
पेड़ का शरीर
कभी कुल्हाड़ी ने काटा ,
कभी दीमक ने बांटा ,
पेड़ का मोटा शरीर था ,
लगता रहा है उसको घाटा
कभी दीमक ने बांटा ,
पेड़ का मोटा शरीर था ,
लगता रहा है उसको घाटा
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बच्चों की कविता
Tuesday, November 18, 2014
Sunday, November 16, 2014
Saturday, November 15, 2014
Friday, November 14, 2014
Wednesday, November 12, 2014
दूब की चादर
छोटे - छोटे इतने सारे किसने बिछाये,
सूरज की रोशनी में चमक रहा है ,
दूब की चादर पर इतने तारे किसने बिछाये
सूरज की रोशनी में चमक रहा है ,
दूब की चादर पर इतने तारे किसने बिछाये
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Triveni
Tuesday, November 11, 2014
Saturday, November 8, 2014
पौधों के बिछाये रंगीन सोफे
पौधों के बिछाये रंगीन सोफे पे
तितलियाँ आराम कर रही है ,
सुबह का सर्द सुहाना मौसम है ,
पराग चोर मधुमखियाँ काम कर रही है,
प्रकृति का अनोखा रूप रोज का,
प्रकृति सब कुछ सरेआम कर रही है
तितलियाँ आराम कर रही है ,
सुबह का सर्द सुहाना मौसम है ,
पराग चोर मधुमखियाँ काम कर रही है,
प्रकृति का अनोखा रूप रोज का,
प्रकृति सब कुछ सरेआम कर रही है
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बच्चों की कविता
Friday, November 7, 2014
BANGALORE
na sardi bedardi
na garmi ki besharmi
shayad pure Bharat mein nhi milti
mausham ki etni narmi
yahan aisa lagta hai
mano badal ho sahkarmi
aur suraj sochta-sochta dhal jata hai
ki kaise badhayen garmi
suhani hawayen
sham se dopahar tak yahan gayen
sharir ko rahat
aur mann ko santi dilayen
log kahte hain ki
Banglore ki ladkiyon aur yahan ke mausham ka pta nhi kab badal jaye
lekin ham to yahin kahte hain
YE WO SHAHAR HAI,JISKA PTA NHI KAB KISPE JADU CHAL JAYE
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हिंदी में बातें
ओस जाग रहा है
चमकता सूरज आया ,
अब कुहरा भाग रहा है ,
कुछ उठ रहा है दूब से ,
हाँ , ओस जाग रहा है
अब कुहरा भाग रहा है ,
कुछ उठ रहा है दूब से ,
हाँ , ओस जाग रहा है
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बच्चों की कविता
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