शाम की लाल बिन्दी,
आसमान के ललाट पे,
जा रहा है सूरज सोने,
अपने पुराने खाट पे,
छोड़कर चमकती चाँदी,
अपने बनाये वाट पे,
अब आयेगा चाँद पुराना,
उस आग के घाट पे,
शाम की लाल बिन्दी,
आसमान के ललाट पे
आसमान के ललाट पे,
जा रहा है सूरज सोने,
अपने पुराने खाट पे,
छोड़कर चमकती चाँदी,
अपने बनाये वाट पे,
अब आयेगा चाँद पुराना,
उस आग के घाट पे,
शाम की लाल बिन्दी,
आसमान के ललाट पे