शब्दों का तमाशा देखो
Monday, August 4, 2014
फिसलती पलकें
चला गया वो थका हुआ सूरज
अब शोरगुल भी थमने लगी है
रात का मीठा सा एक स्पर्श
दोनों पलकें फिसलने लगी है
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