Saturday, December 7, 2013

गाँव का पत्ता गाँव का फूल

गाँव का पत्ता गाँव का फूल
जब भी जाता हूँ वहाँ
वो कहता है ,संजीत तू हमें गया है भूल
कैसे हो ,ये पूछता है
मेरा वो बचपन का स्कूल
चलो खेलने ये कहता है
वो खेल के मैंदान का धूल
गाँव का पत्ता गाँव का फूल
और वो खेल के मैदान का धूल
ये मेरे शरीर में बहुत पहले गया था घूल
मैं कैसे सकता हूँ इनको भूल