Friday, October 31, 2014

कलि चहक गई

सूरज देखा आकाश में, कलि चहक गई,
फूल खिला हरयाली में उपवन महक गई,
नाच रही है ,बेसुध सी तितलियाँ सारी ,
आज तो मधुमक्खियाँ भी बहक गई 

Monday, October 6, 2014

दूब का गजरा

हरी हरी दूब की घास सर झुकाए हुए थे ,
रात में ओस की बारिश में नहाये हुए थे ,
सुबह की किरणों के साथ चमक रहे थे ,
हरी हरी दूब सफ़ेद गजरा लगाये हुए थे 

Saturday, October 4, 2014

ओस का चोर

रात में जब सब सो गये
घास पे मोती छोर आया
सुबह में सूरज दिखा
देखो , ओस का चोर आया