जंगलों के स्नानघर से आती नदी
बहती बरसात में बरसाती नदी
गर्मी में सूखी सहमी सी एक खाई
बादलों के आने पर बन जाती नदी
ग्रीष्म ऋतु में शर्म की मार खाती नदी
बरसात में अपना दमख़म दिखाती नदी
सहयोग मिलता है इसको बारिश का
जब अपना रास्ता है ,बनाती नदी
फसलों को भरपूर पानी पिलाती नदी
नहर को अपना जल दे जाती नदी
सब इससे मुफ्त में ही लाभ उठाते हैं
तभी तो माता है ,कहलाती नदी
बहती बरसात में बरसाती नदी
गर्मी में सूखी सहमी सी एक खाई
बादलों के आने पर बन जाती नदी
ग्रीष्म ऋतु में शर्म की मार खाती नदी
बरसात में अपना दमख़म दिखाती नदी
सहयोग मिलता है इसको बारिश का
जब अपना रास्ता है ,बनाती नदी
फसलों को भरपूर पानी पिलाती नदी
नहर को अपना जल दे जाती नदी
सब इससे मुफ्त में ही लाभ उठाते हैं
तभी तो माता है ,कहलाती नदी