Sunday, July 31, 2016

दस बजिया


स्कूल का प्रार्थना खड़े हो जैसे गा रहा है 
दस बजिया का फूल वक़्त बता रहा है 
घड़ी की सुई बंद हो जाने पर जब इसकी ओर देखते थे 
बचपन की सारी बात याद दिला रहा है 
समय पे पड़े धूल को थोड़ा हटा रहा है
दस बजिया का फूल वक़्त बता रहा है

Sunday, July 10, 2016

गावं में बारिश आती दिखती थी


Saturday, May 14, 2016

ज़मीन पे बैठ

ज़मीन पे बैठ कभी पत्तल में खाया था 
पुरी, सब्जी देने काका और भैया,
पानी पिलाने कोई छोटू आया था, 
ज़मीन पे बैठ कभी पत्तल में खाया था, 
विजे है विजे है की सूचना के बाद, 
लोटा लेकर कभी दाबत उड़ाया था, 
ज़मीन पे बैठ कभी पत्तल में खाया था, 
बुजुगों ने सुरुआत और अंत की आज्ञा दी थी,
धूल भरी जगह पे सबको बड़े इज्जत से बैठाया था, 
ज़मीन पे बैठ कभी पत्तल में खाया था 

Tuesday, March 22, 2016

फूल गुलाल

अपनी सुरीली गानों के बीच वो बहुत साल से खेलती है 
फाल्गुन की फाल्गुनी मधुमक्खी भी फूल गुलाल से खेलती है 
मुझ तक तो आयी नही कहाँ गयी मेरे हिस्से की होली, 
मेरी जिंदगी इस सवाल से खेलती है

Friday, March 18, 2016

ayii sakhiyaan


Ek sath dekho aaj nikal ayii sakhiyaan
Chhoti-chhoti pyaari madhumakhiyaan
Basanti hawa ke sath surili geet ga rhi hai
Apne sath paraagkan le jaa rhi hai
Semal ke phoolon se Gunjaar aa rhi hai

Saturday, February 20, 2016

(LOL)लोल नही

दोस्तों के बीच ये कैसी मारामारी, 
ये फेसबुक है होली की ढोल नही, 
क्यों दलवाज़ी सोच पनपी रही है, 
की भाई मैं बोलूँगा, तू बोल नही, 
पहले दिखता था हँसी मजाक,
अब तो दिखता है,(LOL)लोल नही, 
कट्टरता हममे तुममे जरुर आयी है,
लेकिन हमसब बकलोल नही, 
ये सबको समझने की जरुरत है, 
समझाने का अब कोई मोल नही 

Sunday, January 3, 2016

पीठे की शकल


पीठे की शकल याद है ना ?
चावल के आटे का बना हुआ 
जाड़े में खोया गडा हुआ
बिहार की ये भी एक बुनियाद है ना?
पीठे की शकल याद है ना ?
कभी पेट ख़राब होने तक खायें
बचपन के दोस्त को बुला लायें
ये खुदसे एक फ़रियाद है ना?
पीठे की शकल याद है ना ?