शब्दों का तमाशा देखो
Wednesday, December 30, 2015
दादी दिसंबर
दादी दिसंबर की 31वी दांत टूटनेवाली है
2016 की नई गाड़ी अब छूटनेवाली है
जाड़े में जवान जनवरी आ रही है
2015 कैलेंडर से कल रूठनेवाली है
Tuesday, December 1, 2015
आटी
बिन बिछावन खेत सो रही है,
आटियों की सुनहरी ढेर,
खलिहान जाने को तैयार है,
बस किसान के फिर आने की है देर,
बिन बिछावन खेत सो रही है,
आटियों की सुनहरी ढेर,
आज तुम देखो बंधी पड़ी है,
मेहनत की बनी पतली-पतली खेर
बिन बिछावन खेत सो रही है,
आटियों की सुनहरी ढेर
Note - आटी - Bundle of paddy crop
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